छत्तीसगढ़ में हाल ही में एक मौत की पुष्टि
CHHATTISGARH (CGNEWSFOCUS): डीजे की तेज आवाज न केवल सुनने की क्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि यह कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन सकती है। हाल के शोध और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, डीजे के शोर का अत्यधिक स्तर मनुष्य के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
चेतावनी
ध्वनि विशेषज्ञों के अनुसार, डीजे की तेज ध्वनि सामान्य मानक 85 डेसिबल से कहीं अधिक हो सकती है, जो कानों के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। इसका असर केवल सुनने की क्षमता पर ही नहीं, बल्कि दिल, दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है, “लगातार तेज शोर से व्यक्ति को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और नींद से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।”
स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव
- सुनने की क्षमता कम होना: लगातार तेज आवाज़ में रहने से श्रवण क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे स्थायी बहरापन भी हो सकता है।
- तनाव और चिंता: तेज ध्वनि के संपर्क में लंबे समय तक रहने से तनाव, सिरदर्द और मानसिक असंतुलन हो सकता है।
- दिल से संबंधित समस्याएं: अत्यधिक शोर रक्तचाप को बढ़ाता है और दिल के दौरे का खतरा बढ़ा सकता है।
कानूनी प्रावधान
देश के कई हिस्सों में तेज आवाज़ पर नियंत्रण के लिए कानूनी प्रावधान हैं। ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत, रात्रि 10 बजे के बाद ध्वनि सीमित करने का प्रावधान है। फिर भी, कई बार शादियों, पार्टियों और सार्वजनिक आयोजनों में इस नियम का उल्लंघन देखा गया है।
आवश्यक कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को डीजे की तेज आवाज़ के खतरों के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। आयोजकों को कानूनी नियमों का पालन करते हुए शोर के स्तर को नियंत्रित करना चाहिए। साथ ही, स्थानीय प्रशासन को सख्ती से निगरानी रखनी चाहिए ताकि ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके।
डीजे की तेज आवाज़ न केवल कानों को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन सकती है। इसके प्रति जागरूकता और सावधानी बरतना आवश्यक है ताकि हम सभी स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जी सकें।
(CG News Focus)