IND (CG News focus): भारत में डिजिटल क्रांति के साथ इंटरनेट अब ग्रामीण इलाकों तक भी पहुंच चुका है। इसके सकारात्मक पहलू जितने हैं, नकारात्मक असर भी उतने ही तेजी से फैल रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के रूप में ग्रामीण युवाओं पर इसका गहरा प्रभाव देखा जा रहा है। खासतौर से, शिक्षित युवा जल्दी पैसा कमाने और सफल होने के चक्कर में ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी की लत में पड़ते जा रहे हैं, जिससे उनके व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में बड़ी चुनौतियां पैदा हो रही हैं।
ऑनलाइन गेमिंग का आकर्षण ग्रामीण इलाकों तक विस्तार
ऑनलाइन गेमिंग आज सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह युवाओं के लिए पैसे कमाने का आसान तरीका बन गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई गेमिंग ऐप्स और प्लेटफार्म्स इंटरनेट और मोबाइल के माध्यम से युवाओं तक पहुंच रहे हैं। ये गेम्स न केवल मनोरंजन प्रदान करते हैं, बल्कि इनाम और पैसों का लालच भी देते हैं।
“ऑनलाइन गेमिंग युवाओं को एक फास्ट-ट्रैक सफलता की ओर खींचता है, लेकिन अक्सर ये गेम्स उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित करते हैं,” – अमन वर्मा, साइकोलॉजिस्ट।
इन गेम्स में इनाम जीतने की संभावना युवा खिलाड़ियों को बार-बार खेलने के लिए प्रेरित करती है, जो उन्हें धीरे-धीरे लत की ओर धकेल देती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के युवा, जिनके पास रोजगार के सीमित अवसर होते हैं, इस तरह के आकर्षण में आसानी से फंस जाते हैं।
सट्टेबाजी का व्यापक असर धोखाधड़ी का बढ़ता खतरा
ऑनलाइन सट्टेबाजी का प्रचलन, जो पहले शहरों तक सीमित था, अब ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से फैल रहा है। यह खेल नहीं, बल्कि एक जुआ है जिसमें अधिकांश खिलाड़ी अपने पैसे गंवा बैठते हैं। कई सट्टेबाजी वेबसाइट्स और ऐप्स बिना किसी कानूनी नियंत्रण के संचालित होती हैं, जो ग्रामीण युवाओं को आर्थिक धोखाधड़ी की ओर धकेलती हैं।
“सट्टेबाजी न केवल गैर-कानूनी है, बल्कि यह युवाओं को अपराध और जालसाजी के जाल में फंसाने का आसान जरिया बन गई है,” – राकेश यादव, कानून विशेषज्ञ।
ग्रामीण युवाओं में सट्टेबाजी की लत इस हद तक बढ़ रही है कि वे अपने परिवारों से उधार लिए गए पैसे, जमा पूंजी, और यहां तक कि अपनी शिक्षा के लिए रखे गए धन को भी गंवा रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव तनाव और अवसाद
ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी में निरंतर भागीदारी से ग्रामीण युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। तेज़ी से हारने और पैसे गंवाने के कारण उनमें तनाव, अवसाद और चिंता की समस्या बढ़ने लगती है। निरंतर ऑनलाइन गेम्स खेलना युवाओं को शारीरिक रूप से निष्क्रिय बना देता है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और बिगड़ती है।
“लंबे समय तक ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी में लगे रहने से युवा मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं, जो अवसाद और आत्मविश्वास की कमी की ओर ले जाता है,” – डॉ. शिखा सिंह, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ।
सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर प्रभाव रिश्तों में दरार
तेजी से पैसा कमाने की होड़ में युवा अपने परिवार और समाज से दूर होते जा रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी में अधिक समय बिताने के कारण उनका पारिवारिक जीवन प्रभावित हो रहा है। वे अपने रिश्तों में दरारें महसूस करने लगते हैं और आर्थिक तंगी के कारण पारिवारिक संघर्षों का सामना करते हैं।
“ऑनलाइन सट्टेबाजी में लिप्त रहने से युवा अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने लगते हैं, जिससे रिश्तों में तनाव और मनमुटाव बढ़ जाता है,” – प्रो. सुभाष राय, समाजशास्त्री।
सरकार और समाज की जिम्मेदारी सख्त कानून और जागरूकता अभियान की जरूरत
सरकार ने भले ही सट्टेबाजी और जुए के खिलाफ कई कड़े कानून बनाए हों, लेकिन ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर इनका नियंत्रण करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। ऐसे में जरूरत है कि सरकार सख्त निगरानी तंत्र विकसित करे और कानूनी उपायों को और प्रभावी बनाए। इसके साथ ही, समाज और शिक्षा संस्थानों को मिलकर युवाओं को इन खतरनाक गतिविधियों से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
“सिर्फ कानून बनाना काफी नहीं है, युवाओं में जागरूकता पैदा करना और उन्हें सही मार्गदर्शन देना भी अत्यंत आवश्यक है,” – संदीप तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता।
भविष्य के लिए चेतावनी
ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी का बढ़ता चलन न केवल ग्रामीण युवाओं के जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। समय रहते अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका प्रभाव और भी घातक हो सकता है। युवाओं को सशक्त करने और सही दिशा देने के लिए सरकार, समाज, और परिवारों को मिलकर काम करना होगा ताकि उन्हें इन अनैतिक गतिविधियों से बचाया जा सके और उनका उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
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