रायपुर (CG News Focus): छत्तीसगढ़ के सांसदों को केंद्र सरकार में दिए गए पद और उनके प्रभाव को लेकर प्रदेश में चर्चा जोरों पर है। राज्य के प्रमुख राजनेताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि इन सांसदों को केंद्र सरकार में जो पद दिए गए हैं, वे “झुनझुना” की तरह प्रतीत हो रहे हैं—ना तो उनसे कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है और ना ही उनके पास अपने क्षेत्र के विकास के लिए निर्णायक शक्ति है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय: प्रभावहीन जिम्मेदारी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छत्तीसगढ़ से चुने गए सांसदों को जिन पदों पर नियुक्त किया गया है, वे केवल नाममात्र के हैं। केंद्र में उनकी भूमिका का अधिक प्रभाव नहीं है, जिससे राज्य के विकास और क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान देने में कमी दिखती है।
यह स्थिति ऐसी है कि मानो इन सांसदों को केवल संतुष्ट करने के लिए पद दे दिए गए हों, परंतु वे अपने गृह राज्य या केंद्र में कोई बड़ी नीतिगत भूमिका निभाने में सक्षम नहीं हैं।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छत्तीसगढ़ जैसे महत्वपूर्ण राज्य के सांसदों को केंद्र में ऐसे पदों पर रखा गया है, जहां वे नीति निर्माण या क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका नहीं निभा पा रहे। इससे न तो छत्तीसगढ़ के विकास को गति मिल रही है और न ही उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को कोई विशेष लाभ।”
छत्तीसगढ़ की अपेक्षाएं और केंद्र की उदासीनता
राज्य में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “छत्तीसगढ़ के लिए यह एक गंभीर मुद्दा है।
हमारे सांसदों को अगर केंद्र में उचित जिम्मेदारियां दी जातीं, तो वे राज्य के विकास के लिए बेहतर कार्य कर सकते थे।” वहीं, भाजपा के नेताओं का मानना है कि पार्टी ने सभी सांसदों को उनके कद के अनुसार सम्मान दिया है और वे अपने कार्यों के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
राज्य के विकास पर पड़ रहा है असर
छत्तीसगढ़ एक खनिज संपन्न राज्य है, जो देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन, केंद्र सरकार में राज्य के सांसदों की निर्णायक भूमिका की कमी के कारण, खनिज संसाधनों की नीति, औद्योगिक विकास, और आदिवासी क्षेत्रों के विकास जैसे मुद्दों पर ठोस निर्णय नहीं लिए जा रहे हैं। इससे राज्य के विकास की गति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ की जनता में निराशा
जनता में भी इस बात को लेकर निराशा है कि उनके द्वारा चुने गए सांसद केंद्र में अपनी आवाज को सशक्त तरीके से नहीं उठा पा रहे। रायपुर के एक व्यापारी ने कहा, “हमने सांसदों को इसलिए चुना था ताकि वे हमारे राज्य और हमारे मुद्दों का प्रतिनिधित्व केंद्र में कर सकें।
लेकिन, जो पद उन्हें दिए गए हैं, उनसे ना तो राज्य के मुद्दे सुलझ पा रहे हैं और ना ही हमारी आवाज सुनी जा रही है।”
समाप्ति: क्या यह स्थिति बदलेगी?
छत्तीसगढ़ के सांसदों के लिए यह समय आत्ममंथन का है। उन्हें यह विचार करना होगा कि वे केंद्र में अपने प्रभाव को कैसे बढ़ा सकते हैं और राज्य के हितों को प्राथमिकता कैसे दे सकते हैं।
राज्य के विकास और जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए यह जरूरी है कि वे अपने पदों से परे जाकर सक्रिय भूमिका निभाएं। जनता को उम्मीद है कि भविष्य में उनके सांसद केवल नाममात्र के पदों तक सीमित न रहें, बल्कि अपनी आवाज और कार्यों से छत्तीसगढ़ के विकास को नई दिशा दें।
(CG News Focus)