रायपुर (cg new focus): छत्तीसगढ़ की कृषि अब टेक्नोलॉजी के नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। राज्य के किसान पारंपरिक तरीकों को पीछे छोड़ते हुए आधुनिक तकनीकों को तेजी से अपना रहे हैं। इसी कड़ी में अब ड्रोन तकनीक से कीटनाशक और दवाओं का छिड़काव एक बड़ा परिवर्तन लेकर आ रहा है। इससे न केवल समय की बचत हो रही है, बल्कि फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में भी सुधार देखा जा रहा है।
ड्रोन तकनीक का विस्तार ग्रामीण अंचलों तक
राज्य के कई जिलों—जैसे कि बस्तर, दुर्ग, राजनांदगांव, महासमुंद और बिलासपुर—में कृषि विभाग और निजी कंपनियों के सहयोग से ड्रोन के ज़रिए दवा छिड़काव की शुरुआत की गई है। किसान अब ऊँचे कद वाली फसलों जैसे धान, मक्का और गन्ना में भी आसानी से छिड़काव कर पा रहे हैं, जहाँ पहले यह काम बेहद कठिन और समय लेने वाला होता था।

किसानों को मिल रहा सीधा लाभ
महासमुंद के एक प्रगतिशील किसान रमेश यादव कहते हैं—
“पहले खेत में दवा छिड़कने में पूरा दिन लग जाता था और मजदूर भी लगाने पड़ते थे। अब ड्रोन से 10 एकड़ खेत में सिर्फ 1 घंटे में काम पूरा हो जाता है। लागत भी कम है और फसल पर असर भी बढ़िया दिख रहा है।”
राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका
छत्तीसगढ़ सरकार भी इस बदलाव को बढ़ावा दे रही है। कृषि विभाग ने ‘स्मार्ट कृषि मिशन’ के तहत ड्रोन सेवा को बढ़ावा देने के लिए अनुदान योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत किसान समूहों और कृषि सेवा केंद्रों को ड्रोन उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी दी जा रही है।
कृषि मंत्री श्री टंकेश्वर वर्मा का कहना है:
“हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ का हर किसान आधुनिक हो। ड्रोन तकनीक से खेती को स्मार्ट और मुनाफे वाली बनाया जा सकता है।”
फायदे जो ड्रोन तकनीक को बना रहे लोकप्रिय
- समय की बचत: पारंपरिक तरीके की तुलना में 80% तेजी से छिड़काव
- कम श्रम लागत: मजदूरों पर निर्भरता घटती है
- सटीक छिड़काव: दवा की बर्बादी नहीं होती
- पर्यावरण संरक्षण: जरूरत से ज्यादा कीटनाशक खेत में नहीं जाते
- फसल सुरक्षा: रोग और कीट नियंत्रण बेहतर होता है
आगे की राह
राज्य सरकार भविष्य में हर विकासखंड में ड्रोन ऑपरेटर प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने की योजना बना रही है। साथ ही, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और रूरल टेक्नोलॉजी पार्क के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
(cg news focus)