शिक्षा के गिरते स्तर, घटती छात्र संख्या और निजीकरण की होड़ पर एक पड़ताल
RAIPUR (CG news focus): छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल, सामाजिक रूप से विविध और आर्थिक चुनौतियों से जूझते राज्य में शिक्षा का स्तर दशकों से चिंता का विषय रहा है। अब एक और बड़ा सवाल सामने खड़ा हो गया है — क्या आने वाले 10 वर्षों में छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल पूरी तरह बंद हो जाएंगे? ये सवाल सिर्फ भविष्य की कल्पना नहीं, बल्कि एक सच्चाई बनने की ओर बढ़ता हुआ संकेत भी हो सकता है।
सरकारी स्कूलों में घटते दाखिले — एक गंभीर संकेत
राज्य के कई जिलों से मिल रही रिपोर्ट्स के अनुसार, प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है। शिक्षा विभाग के अनुसार, 2013-14 में जहां सरकारी स्कूलों में नामांकित छात्रों की संख्या करीब 45 लाख थी, वहीं 2023-24 में यह घटकर करीब 30 लाख के आसपास रह गई है। कई स्कूलों में तो स्थिति इतनी खराब है कि पूरे स्कूल में केवल 5-10 बच्चे ही पढ़ाई कर रहे हैं।
जशपुर, कबीरधाम, बस्तर और कांकेर जैसे जिलों में सैकड़ों स्कूल ‘जीरो इनरोलमेंट’ यानी बिना किसी छात्र के चल रहे हैं। ऐसे स्कूलों को बंद करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
शिक्षकों की भारी कमी और सुविधाओं का अभाव
छत्तीसगढ़ के हजारों स्कूल आज भी बगैर पर्याप्त शिक्षकों के चल रहे हैं। कई जगह केवल एक शिक्षक से पूरा स्कूल संचालित हो रहा है। शौचालय, पेयजल, बिजली, फर्नीचर और डिजिटल सुविधा जैसी बुनियादी चीजें भी अधिकतर स्कूलों में नदारद हैं।
छात्रा सविता बाई, जो बलरामपुर जिले की एक सरकारी मिडिल स्कूल में पढ़ती है, कहती है— “हमारे स्कूल में सिर्फ एक मास्टर जी हैं, वो भी महीने में कई दिन नहीं आते। बोरिंग भी खराब है, गर्मियों में पानी नहीं मिलता।”
निजीकरण का बढ़ता दबाव
शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में अब अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाना चाहते हैं, भले ही उसकी फीस वहन करना उनके लिए भारी पड़े। इसका सीधा असर सरकारी स्कूलों की छवि पर पड़ा है। सरकारी स्कूल अब केवल उन बच्चों की शरणस्थली बन गए हैं, जिनके पास कोई और विकल्प नहीं है।
शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर. एन. वर्मा कहते हैं, “सरकारी नीति यदि इसी दिशा में रही तो 2035 तक हम देख सकते हैं कि सरकारी स्कूल नाम मात्र के रह जाएंगे। या तो उनका निजीकरण कर दिया जाएगा या फिर उन्हें बंद करना पड़ेगा।”
क्या सरकार के पास कोई योजना है?
राज्य सरकार ने हाल ही में ‘स्कूल समागम योजना’ और ‘उन्नयन शिक्षा मिशन’ जैसी कुछ योजनाएं शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य सरकारी स्कूलों को सुदृढ़ बनाना है। लेकिन मूल समस्या व्यवस्था और निगरानी की है, जिसका समाधान केवल भवन निर्माण या स्मार्ट क्लास से नहीं होगा।
समाधान की राह – क्या किया जा सकता है?
- शिक्षकों की नियुक्ति और प्रशिक्षण पर विशेष जोर
- स्कूलों को स्थानीय समुदाय से जोड़ना
- गुणवत्ता आधारित शिक्षा और पाठ्यक्रम में नवाचार
- सरकारी स्कूलों की छवि सुधारने के लिए जन-जागरूकता अभियान
अगर यही रुझान बना रहा, तो अगले 10 वर्षों में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में सरकारी स्कूलों की उपयोगिता समाप्त हो सकती है। यह केवल शिक्षा का संकट नहीं, बल्कि सामाजिक असमानता का गहराता हुआ संकेत होगा। अभी भी समय है — सरकारी स्कूलों को बचाने और संवारने का। नहीं तो अगली पीढ़ी इतिहास की किताबों में सरकारी स्कूल को केवल एक बीते युग की शिक्षा प्रणाली के रूप में पढ़ेगी।
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📢 Category: शिक्षा | छत्तीसगढ़ | ग्राउंड रिपोर्ट
✍️ रिपोर्टर: सीजी न्यूज़ फॉक्स टीम
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