जनजातीय कला से सजे सपनों के घर ने पाया आत्मसम्मान और नई पहचान
रायपुर (cg newc focus): छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले की ग्राम पंचायत पुछेली खपरीडीह की रहने वाली श्रीमती सहोद्रा बाई धनवार के लिए 19 जून का दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और सुरक्षित भविष्य की नई शुरुआत बन गया। जब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत अपने नए पक्के घर की चाबी सौंपी गई, तो उनके चेहरे की मुस्कान पूरे माहौल को भावनाओं से भर गई।
“चाबी तो दे दी आपने, लेकिन ताला नहीं दिया” — उनकी मासूमियत से भरी यह बात सुनकर मंच और गाँव दोनों में मुस्कान बिखर गई।
अवसर बना आत्मनिर्भरता की नींव
श्रीमती सहोद्रा बाई का जीवन कई संघर्षों से भरा रहा है। पति की मृत्यु के बाद उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की जिम्मेदारी उठाई। उनकी तीन बेटियां और चार बेटे अब अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ चुके हैं।
लेकिन उनके लिए सच्चा सशक्तिकरण तब आया जब प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ उन्हें उज्ज्वला योजना, महतारी वंदन योजना, पेंशन योजना, और मनरेगा के तहत 90 दिन का रोज़गार भी मिला। इससे उनका जीवन सिर्फ आसान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भी हो गया है।

जनजातीय कला से सजा सपनों का घर
श्रीमती सहोद्रा बाई ने अपने नए पक्के घर को सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि संस्कृति का प्रतीक बना दिया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक जनजातीय कलाकृतियाँ, वाद्य यंत्र, नृत्य, और लोककला से प्रेरित चित्रकारी से अपने घर की दीवारों को सजाया है।
उनका यह प्रयास न केवल सौंदर्यपूर्ण है, बल्कि जनजातीय पहचान और गौरव का जीवंत उदाहरण भी बन गया है। आज उनका घर पूरे जनपद पंचायत में चर्चा का विषय है।
पर्यावरण संरक्षण की ओर सार्थक कदम
सिर्फ संस्कृति ही नहीं, सहोद्रा बाई पर्यावरण के प्रति भी सजग हैं। उन्होंने अपने घर के सामने एक आम का पौधा अपनी मां की स्मृति में लगाया है, और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक सोखता गड्ढा भी बनवाया है। यह पहल उन्हें सामाजिक चेतना की मिसाल बनाती है।
शब्दों से किया आभार व्यक्त
उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह आवास उनके जीवन की सबसे बड़ी सौगात है। अब वह अपने नए आशियाने में सम्मान और सुरक्षा के साथ जी रही हैं।