रायपुर / छत्तीसगढ़ (CG News Focus): छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में जादू टोना के नाम पर हत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में कई ऐसी घटनाएं सामने आई कल ही कसडोल के पास गांव में 3 लोगों की हत्या सक के आधार की गई हैं, जहां अंधविश्वास के चलते निर्दोष लोगों की जान ली गई है। इस सामाजिक समस्या ने प्रदेश में चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है और अब इस पर कड़े कानून की मांग भी तेज हो गई है।
जादू टोना अंधविश्वास या सच्चाई?
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में जादू टोना एक गहरा अंधविश्वास बन चुका है। किसी की अचानक मृत्यु या बीमारी के लिए अक्सर गांवों में किसी बुजुर्ग महिला या व्यक्ति को जादू टोना करने का आरोप लगाकर उन्हें दोषी ठहराया जाता है। इस अंधविश्वास के कारण लोग हिंसा पर उतारू हो जाते हैं, जिसके चलते हत्या जैसी जघन्य घटनाएं भी हो रही हैं।
राज्य के सामाजिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल एक अपराध है, बल्कि समाज में गहरी जड़ें जमाए हुए भेदभाव और असमानता को भी बढ़ावा देता है। जादू टोना के आरोप में अक्सर गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को निशाना बनाया जाता है, जो कि एक प्रकार का सामाजिक भेदभाव भी है।
कानून की आवश्यकता क्या मौजूदा कानून पर्याप्त हैं?
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस समस्या के खिलाफ कई बार कदम उठाने का प्रयास किया है। राज्य में पहले से ही ‘जादू-टोना विरोधी कानून’ मौजूद है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस कानून को और अधिक सख्त और प्रभावी बनाने की जरूरत है।
जिला न्यायालयों के आंकड़ों के अनुसार, जादू टोना के नाम पर हुई हत्याओं के मामलों में दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया धीमी और जटिल है, जिससे अपराधी बच निकलते हैं। ऐसे मामलों में समय पर न्याय न मिलने के कारण यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है।
सामाजिक भेदभाव को जन्म
जादू टोना के नाम पर हो रहे अपराध केवल एक कानूनी समस्या नहीं हैं, यह एक गहरी सामाजिक बीमारी का भी हिस्सा है। सामाजिक कार्यकर्ता गीता कश्यप कहती हैं, “यह समस्या सिर्फ कानून से नहीं सुलझेगी, इसके लिए समाज को भी जागरूक करना होगा। गरीब और पिछड़े वर्ग के लोग इस तरह के आरोपों के सबसे बड़े शिकार होते हैं।”
यह समस्या सामाजिक भेदभाव को भी जन्म देती है क्योंकि अक्सर समाज के वंचित और कमजोर वर्गों के लोगों को जादू टोना करने का दोषी ठहराया जाता है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं, विशेषकर बुजुर्ग महिलाओं को इस प्रकार के आरोपों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके जीवन और सामाजिक प्रतिष्ठा पर गहरा असर पड़ता है।
सरकार का दृष्टिकोण और भविष्य की दिशा
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए जागरूकता कार्यक्रम चलाने और कानून को और सख्त बनाने की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया है। सामाजिक संगठनों और प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि जब तक ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक जागरूकता पर काम नहीं किया जाएगा, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है।
छत्तीसगढ़ के एक सामाजिक कार्यकर्ता शेखर वर्मा कहते हैं, “अंधविश्वास को खत्म करने के लिए सरकार को गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाने होंगे। साथ ही, कानून को और सख्त बनाकर इसे पूरी तरह से लागू करना होगा ताकि निर्दोष लोगों की जान बचाई जा सके।”
छत्तीसगढ़ में जादू टोना के नाम पर हो रही हत्याओं को रोकने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है। यह समस्या केवल कानून से नहीं, बल्कि समाज की मानसिकता में बदलाव और जागरूकता के माध्यम से हल हो सकती है। सरकार और सामाजिक संगठनों को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा ताकि छत्तीसगढ़ में जादू टोना के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा हैं
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