मुख्य बातें
- सीमेंट की कीमतों में 50 रुपये की वृद्धि।
- सरकारी योजनाओं की लागत में संभावित बढ़ोतरी।
- नेता ने मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री से दखल की मांग की।
रायपुर (CG News Focus): छत्तीसगढ़ में सीमेंट की कीमतों में अचानक 50 रुपये की बढ़ोतरी ने निर्माण क्षेत्र में संकट खड़ा कर दिया है। इस उछाल से राज्य की कई महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं और जनहित परियोजनाओं पर असर पड़ने की संभावना है। जिनमें सड़क, भवन, पुल, नहर, स्कूल, कॉलेज और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे मकान शामिल हैं।
सरकारी परियोजनाओं पर असर
सीमेंट की इस वृद्धि से राज्य में चल रही तमाम सरकारी और जनहित परियोजनाओं की लागत में बढ़ोतरी हो सकती है। राज्य में सीमेंट का मासिक उत्पादन लगभग 30 लाख टन है, जो करीब 6 करोड़ बैग के बराबर है। 3 सितंबर से पहले सीमेंट की कीमत लगभग 260 रुपये प्रति बोरी थी, जो अब बढ़कर 310 रुपये प्रति बोरी हो गई है।
सीमेंट कंपनियों पर कार्टेल का आरोप
राज्य के खनिज, लौह, कोयला और ऊर्जा संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद, सीमेंट कंपनियों पर एक कार्टेल बनाकर कीमतों में इस अप्रत्याशित वृद्धि का आरोप लगाया गया है। इस पर आपत्ति जताते हुए एक प्रमुख नेता ने मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा, “सीमेंट कंपनियों का यह रवैया छत्तीसगढ़ की जनता को लूटने और एकछत्र राज करने जैसा है।”
परियोजनाओं में देरी का खतरा
इस वृद्धि का सीधा असर राज्य में चल रहे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर पड़ेगा। खासतौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे मकानों की लागत में बढ़ोतरी से इन परियोजनाओं में देरी हो सकती है।
कार्रवाई की मांग
नेता ने सरकार से अपील की है कि वह सीमेंट फैक्ट्रियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और कीमतों को वापस लेकर जनता को राहत दिलाए। उन्होंने कहा, “सीमेंट की बढ़ी कीमतें न सिर्फ प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ाएंगी, बल्कि राज्य के विकास को भी बाधित करेंगी।”
छत्तीसगढ़ में सीमेंट की कीमतों में इस अप्रत्याशित वृद्धि ने सरकारी योजनाओं की लागत बढ़ाने के साथ-साथ विकास कार्यों को भी प्रभावित करने की आशंका जताई है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है और जनता को इस महंगाई से राहत कैसे मिलती है।
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